जानिये योगी आदित्यनाथ सरकार के सौ दिनों में कैसा रहा कामकाज

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने नए कार्यकाल में प्रदेश के विकास के लिए 100 दिनों के लिए जो लक्ष्य रखा था वह लगभग पूरा हो चूका है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज उत्तर प्रदेश में डबल इंजन की भाजपा सरकार की दूसरी पारी के 100 दिन सफलतापूर्वक पूरे हुए हैं। इन 100 दिनों में हमने ‘जो कहा, सो किया’ को चरितार्थ किया है। उन्होंने कहा आदरणीय प्रधानमंत्री जी बार-बार कहते हैं कि उत्तर प्रदेश भारत की अर्थव्यवस्था का ग्रोथ इंजन बनने की सामर्थ्य रखता है।इस सामर्थ्य की आधारशिला वर्तमान प्रदेश सरकार ने अपने प्रथम कार्यकाल में रखी थी। अब दूसरे कार्यकाल में हम सब एक नई उड़ान के साथ विकास यात्रा को आगे बढ़ा रहे हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए ‘टीम वर्क’ की भावना के साथ कार्य हो रहा है। ‘टीम वर्क’ के फलस्वरूप ही पिछले कार्यकाल में बहुत सारी उपलब्धियां हासिल हुई हैं। उत्तर प्रदेश में भी निवेश हो सकता है और उद्योग लग सकते हैं, यह वर्ष 2017 के पहले सपना था, जो आज हकीकत है। डबल इंजन की भाजपा सरकार ने 100 दिनों में प्रदेश में 10,000 से अधिक सरकारी नौकरियां दी हैं। वहीं, स्वरोजगार से जोड़ने हेतु वृहद ऋण मेला के माध्यम से 1.90 लाख उद्यमियों को ₹16,000 करोड़ ऋण उपलब्ध कराया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में प्रदेश के जिन खिलाड़ियों ने पदक प्राप्त किए हैं, सीधी भर्ती के माध्यम से राजपत्रित पदों पर उनकी नियुक्ति करने की व्यवस्था की गई है। इस कार्ययोजना को भी विगत 100 दिनों में ही अनुमोदित किया गया है। विधान सभा चुनाव के बाद उ.प्र. के स्थानीय प्राधिकारी विधान परिषद की 36 सीटों पर हुए चुनाव में 33 सीट भाजपा और 3 सीटें निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीती थीं। सपा, बसपा और कांग्रेस जीरो पर रहीं। इतने वर्षों बाद पहली बार उत्तर प्रदेश विधान मंडल का उच्च सदन अब कांग्रेस मुक्त हो गया है।

जानिये योगी आदित्यनाथ सरकार के सौ दिनों में कैसा रहा कामकाज।

अमृत योजना के तहत पेयजल की 19 परियोजनाएं, नगर निकायों में 280 पिंक टायलेट का निर्माण, सभी 12022 वार्डों में डोर-टू-डोर कूड़ा उठाने का काम शुरू, स्मार्ट सिटी वाले शहरों में 50 परियोजनाओं का काम प्रारंभ, स्मार्ट सिटी में निर्माणाधीन 75 परियोजनाओं का काम पूर्ण, प्रदेश स्तरीय स्मार्ट सिटी सेंट्रल डिजिटल मॉनिटरिंग सेंटर की स्थापना, केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा चयनित 17 स्मार्ट सिटी वाले जिलों के 102, निकायों को गोद लेने का काम,पीएम स्वनिधि योजना में 84148 स्ट्रीट वेंडरों को ऋण वितरण।

रोजगार, अप्रेंटिसशिप व प्लेसमेंट मेले के आयोजन लक्ष्य से अधिक प्राथमिक, माध्यमिक से लेकर उच्च, व्यावसायिक व प्राविधिक शिक्षा के लिए तय किए गए अधिकांश लक्ष्य पूरे हो गए हैं तो कहीं कुछ पूरे होने के करीब हैं। ग्रीष्मावकाश के बाद जुलाई से शैक्षिक संस्थाएं खुलने के कारण शेष बचे कार्य रफ्तार पकड़ने लगे हैं। वहीं, रोजगार, अप्रेंटिसशिप व प्लेसमेंट मेलों के आयोजन लक्ष्य से अधिक हुए हैं।

वर्तमान सत्र 2022-23 में परिषदीय स्कूलों में दो करोड़ बच्चों के नामांकन का लक्ष्य था। इसके सापेक्ष 1.88 करोड़ बच्चों का नामांकन हो गया है। ग्रीष्मावकाश के बाद स्कूल खुलने के साथ ही नामांकन का काम जारी है। दूसरा लक्ष्य नामांकित सभी विद्यार्थियों का शत-प्रतिशत आधार पंजीकरण कराना था। इसके तहत 1.66 करोड़ बच्चों का आधार पंजीकरण हो गया है। माध्यमिक विद्यालयों में सभी विद्यार्थियों की वेबसाइट, ई-मेल आईडी बनाए जाने व राजकीय विद्यालयों में बायोमीट्रिक हाजिरी शुरू करने का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। ई-मेल आईडी व वेबसाइट भी लगभग तैयार हैं। इन सभी की क्रियाशीलता परखी जा रही है। 41 हाईस्कूल, 18 इंटर कॉलेज के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

उच्च शिक्षा के क्षेत्र में रिक्त पदों पर भर्ती, पदोन्नति की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। नए महाविद्यालय भी तैयार हो गए हैं। ऑनलाइन पोर्टल शुरू किए जाने, निजी विश्वविद्यालयों से जुड़े कार्य अभी चल रहे हैं। ई-लर्निंग पार्क व इनक्यूबेटर्स की शुरुआत के लिए भी प्रक्रिया चल रही है। प्रस्तावित लक्ष्यों में अधिकारी सभी पूरे होने का दावा कर रहे हैं। विश्वकर्मा तकनीकी उन्नयन कार्यक्रम के शुभारंभ के तहत स्मार्ट डैस बोर्ड की स्थापना व लोकार्पण हो गया है। प्लेसमेंट सेल की स्थापना व प्रत्येक माह की 21 तारीख को प्लेसमेंट-डे का आयोजन हो रहा है। 8 हजार युवाओं को रोजगार दिया जा चुका है। मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना के तहत 10 हजार युवाओं को अप्रेंटिसशिप कराने का लक्ष्य था जबकि 30 जून तक 10 हजार से अधिक युवाओं को इससे जोड़ दिया गया है।

सरकारी अस्पतालों के मोर्चे पर विभाग काफी हद तक कामयाब भी रहा है लेकिन दवाओं और डॉक्टरों की कमी बड़ी चुनौती बनी हुई है। इसी को देखते हुए अगले छह माह में डॉक्टरों के खाली पद भरने का लक्ष्य रखा गया है। डॉक्टरों को जेनेरिक दवाएं लिखने का निर्देश दिए गए हैं लेकिन जन औषधि केंद्रों पर सभी दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। नीट के जरिए नर्सिंग कॉलेजों में प्रवेश की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। 14 मेडिकल कॉलेजों का निर्माण अंतिम दौर में है। पीपीपी मॉडल पर चलने वाले 16 मेडिकल कॉलेजों में दो तय कर लिए गए हैं। मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 600 सीटें बढ़ाई गई हैं।

पीजी की 725, नर्सिंग की 2400 और पैरामेडिकल की 600 सीट बढ़ाई गई है। गोरखपुर में स्थापित महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विवि से आयुर्वेदिक, यूनानी और होम्योपैथी कॉलेजों की संबद्धता शुरू कर दी गई है। किसानों को औषधियों की कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का भी लक्ष्य रखा गया था। इसकी कार्ययोजना केंद्र को भेजी जा चुकी है।